दोस्तों पिछले कुछ सालो में बहुत ही तेजी से निजीकरण हुवा है ब्बहुत बड़ी बड़ी सरकारी कंपनियों के निजी करन बीते दिनों में हुवा है | पर इस समय सबसे बड़ा निजीकरण हो सकता है सरकारी बैंक का |
पर सवाल तो ये ही की ये निजिकरन क्या है और इसका क्या असर देखने को मिलेगा | बैंक का निजीकरण उसके सरकार द्वारा संचालित होने से निजी क्षेत्र में उसके स्वामित्व व संचालन का अर्थ होता है।
निजीकरण के तहत, सरकार बैंक के स्वामित्व और नियंत्रण का अधिकार दूसरे निजी क्षेत्र के व्यवसायों के हाथों में सौंपती है। इसका मुख्य उद्देश्य बैंकों के संचालन में आवश्यक सुधार करना और उन्हें निजी उद्यमों की तरह संचालित करना होता है।
बैंक का निजीकरण को समझे
दोस्तों आपकी जानकारी के लिए बता दे भारत में, बैंक का निजीकरण की शुरुआत 1991 में हुई थी। इससे पहले, सभी बैंकों को सरकारी रूप से संचालित किया जाता था। निजीकरण के बाद से, भारत में कई नए निजी बैंक उद्यम उभरे हैं, जिनमें से कुछ बड़े उद्योगपतियों द्वारा संचालित होते हैं।
इससे बैंकों का संचालन निर्देशन संभव होता है और उन्हें अपने उद्योग की तरह संचालित करने की अनुमति मिलती है।
बैंक के निजीकरण के फायदे और नुकसान
बैंक के निजीकरण के फायदे और नुकसान निम्नलिखित हैं:
- बेहतर सेवा: बैंकों का निजीकरण उन्हें एक व्यवसाय के रूप में संचालित करने की अनुमति देता है जिससे वे अधिक दक्ष होते हैं और ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान कर सकते हैं।
- इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास: निजीकरण के बाद, नए बैंकों के उद्यमों ने वित्तीय इंफ्रास्ट्रक्चर को विकसित करने में मदद की है। इससे उन्हें अधिक संसाधन और तकनीकी संसाधन प्राप्त होते हैं जो उन्हें नए उत्पादों और सेवाओं को शुरू करने में मदद करता है।
- अधिक निवेश: बैंकों के निजीकरण से इन्वेस्टर्स के लिए अधिक निवेश के अवसर होते हैं। निजी बैंकों के लिए निवेश करने वाले इन्वेस्टर्स को अधिक लाभ होता है और उन्हें अधिक आकर्षक मुनाफे मिलते हैं।
- संचालन व्यवस्था में सुधार: निजीकरण से बैंकों का संचालन सुधार होता है